अब केंपम्मा की नजर हर दिन मंदिर में नियमित रूप से आनेवाले उन लोगों पर रहती, जो बहुत ज्यादा दर्द में दिखते।
केंपम्मा सही समय पर एक ‘पवित्र महिला’ के रूप में उनसे परिचय बढ़ाती उनकी समस्याओं को सुनती। केंपम्मा अच्छी तरह जानती थी कि तकलीफ के दौर से गुजर रहे वे क्या चाहते हैं। केंपम्मा उन्हें ‘मंडला पूजा’ में मदद करने का वादा करते उन्हें अस्वस्थ करती कि इससे उनकी सभी समस्याएं हल हो जाएंगी। मंडला पूजा में वह उनसे अपनी सबसे कीमती पोशाक और अपने सभी गहने पहनने के लिए भी कहती। केंपम्मा अक्सर उन्हें बाहरी इलाके में एक मंदिर में आमंत्रित करती, जिसके बारे में वे नहीं जानते थे। मंडला पूजा में वह उनसे अपनी आंखें बंद करने और उसके बाद प्रार्थना करने के लिए कहती। फिर वह उन्हें प्रसाद स्वरूप ‘पवित्र जल’ देती। उस प्रसाद रूपी पवित्र जल में साइनाइड मिला होता था। पवित्र जल के पीते ही उसके शिकार की मौत निश्चित होती। शिकार के मौत के बाद वह उनके गहने लेकर गायब हो जाती यही उसकी मॉडस ऑपरेंडी थी। १९९९ में साइनाइड मल्लिका की पहली शिकार बंगलुरु के बाहरी इलाके में रहनेवाली ३० वर्षीया एक अमीर महिला थी। केंपम्मा अपना शिकार अधिकतर बुजुर्ग महिलाओं को ही बनाती थी, जो अपने जीवन में कठिन दौर से गुजर रही होतीं। जैसे कि अस्थमा से पीड़ित एक महिला जो पूजा-पाठ के जरिए इस बीमारी से छुटकारा पाना चाहती थी। केंपम्मा ने उसे अपने बातों के जाल में इस कदर फंसाया कि वह भी गहनों से लदकर एक दूर-दराज मंदिर पहुंच गई। वह मंदिर उसकी जिंदगी का आखिरी मंदिर था। उसकी एक अन्य शिकार वह ५९ वर्षीया महिला बुजुर्ग महिला जो अपने खोए हुए लड़के को ढूंढ़ना चाहती थी। उसने उसे मदद का वादा किया और उसकी भी जान चली गई। केंपम्मा की शिकार की लिस्ट काफी लंबी है, लेकिन कोई नहीं जानता था कि उसने कुल मिलाकर कितनी हत्याएं कीं। हालांकि, उस पर तकरीबन सात हत्याओं का आरोप लगा। केंपम्मा प्रत्येक हत्या के बाद अपनी पहचान पूरी तरह बदल लेती थी। केंपम्मा ने २००७ में तीन महीने की अवधि में पांच पीड़ितों की हत्या कर दी थी। इन हत्याओं ने बंगलुरु में हड़कंप मचा दिया था। पुलिस के भी हाथ पैर-फूल गए।
बंगलुरु की ही रहनेवाली रेणुका, जिसका शव गेस्ट हाउस में मिला था। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, हत्यारी, जिसे जयम्मा भी कहा जाता था, वास्तव में केंपम्मा थी। जब पुलिस जयम्मा की तलाश में थी, तब केंपम्मा ने नागवेणी को अपना अगला शिकार चुना। नागवेणी नि:संतान थी। केंपम्मा ने नागवेणी को मंदिर में विशेष प्रार्थना के लिए बुलाया। हमेशा की तरह उसने नागवेणी को वही प्रसाद दिया, जिसमें साइनाइड मिला हुआ था। (समाप्त)
केंपम्मा पुलिस के हत्थे उस वक्त चढ़ी, जब वह नागवेणी के गहने लेकर भाग रही थी।
केंपम्मा को ‘साइनाइड मल्लिका’ का नाम इसलिए मिला था, क्योंकि जब उसने अपने आखिरी शिकार को अपना परिचय दिया था तो उसने खुद को ‘मल्लिका’ कहा था। साइनाइड मल्लिका को २०१२ में गिरफ्तार किया गया और मौत की सजा सुनाई गई। बंगलुरु के परप्पना अग्रहारा सेंट्रल जेल में उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया। वह कर्नाटक राज्य में मौत की सजा पानेवाली पहली व्यक्ति थी।
तीन महीने में पाांच कत्ल
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