इन दिनों संस्कारधानी में महापौर व निगमायुक्त नित दिन अधिकारियों के साथ बैठक करके सफाई व्यवस्था के लिए सजग नजर आ रहे है, हास्यदपड ही कहेंगे के माननीय ओर महोदया आलीशान वातानुकूलित कक्षो में जिस तरह बैठके लेकर जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों से अधीनस्थ तक शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर निर्देशित कर रहे है वह अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत को यथार्थ स्वरूप में प्रदर्शित कर रही है? और जो परिदृश्य कुरूप स्मार्ट सिटी वासी खुली आँखों से देख रहे है वह निगम प्रशाशन व नगर सत्ता की अपने मु मिया मिठू की बानगी का शोर चहुओर गुंजायमान कर रही है, मुद्दे की बात पर आते है सफाई व्यवस्था सुचारू दुरुस्त रखने जिस तरह का ढोल पीटा जा रहा है जमीनी तह पर वास्तविकता किसी से छुपी नही है बदरूप स्मार्ट सिटी में 79 वार्ड है जहाँ का प्रतिनिधित्व अधिकांश भाजपाई ओर दो सैकड़ा कोंग्रेसी पार्षद कर रहे है, विडंबना कहे या खाई बाजी का खेल शासकीय कागजो में प्रत्येक वार्ड में सफाई कर्मियों की संख्या 15 से 20 है लेकिन वार्डो में सफाई कर्मी नजर ही नही आते? सूत्रों की माने तो वार्ड पार्षद से प्रारंभ हुई खाई बाजी की साँप सीढ़ी वार्ड सुपरवाइजर से होते हुए सम्बंधित विभाग के आला अधिकारी व नगर के प्रथम नागरिक तक जाती है, ओर सबका साथ सबका विकास की अवधरणा को सर्वोपरि रखते हुए पूर्ण ईमानदारी के साथ सभी का हिस्सा पहुच जाता है? निगम के गलियारों में चटकारे लेकर हो रही काना फुसी की माने तो शासकीय कागजो में सफाई कर्मियों की हाजरी बराबर लग रही है जिनमे से कुछ तो घर पर ही सुकून भरी जिंदगी का लुत्फ उठाते है और सबका कम्मिशन निकलने के बात सफाई कर्मी का पारिश्रमिक उस को मिल रहा है? सोचनीय पहलू है के जिस तरह महापौर अन्नू सिंह और निगमायुक्त प्रीति यादव सफाई व्यवस्था के लिए सजगता दिखा रहे है अगर यही सजगता वार्डो में लगे सफाई कर्मियों की संख्या और कर्मक्षेत्र में उपस्थिति के लिए ध्यान केंद्रित करें तो निगम की भर्राशाही ओर खाई बाजी के खेल का पर्दा फाश हो जायेगा? लेकिन एक वास्तविकता ये भी है के नगर पालिका निगम जबलपुर में खाई बाजी के ढोल की बहुत बड़ी पोल है और जिम्मेदार अधिकारियों से लेकर पक्ष विपक्ष के जनप्रतिनिधि कागजी विकास की कथडी ओढ़ कर शुद्ध घी पी रहे है ?
