पेरू में वैज्ञानिकों को मिला 1 करोड़ साल पुराना ‘कंकाल’, वैज्ञानिकों ने कहा- ये था असली शिकारी!

News Desk
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12 Million Year old Dolphin Fossil: जुलाई 2025 में पेरू के वैज्ञानिक मारियो उर्बिना को लीमा से करीब 350 किलोमीटर दूर ओकुकाजे रेगिस्तान में बहुत पुराना डॉल्फिन का कंकाल मिला. यह जीवाश्म लगभग 1.2 करोड़ साल पुराना है और इसकी लंबाई 3.5 मीटर है. इस खोज के बारे में 17 सितंबर को भूवैज्ञानिक खनन और धातुकर्म संस्थान में बताया गया. इस कंकाल से पुराने शिंशुमारों की बनावट और व्यवहार के बारे में कुछ पता चलता है जैसे कि वे कैसे चलते, तैरते या शिकार करते थे. मारियो ने बताया कि कंकाल बहुत अच्छी हालत में हैं और इससे मांसपेशियों और जोड़ों की बनावट का अध्ययन किया जा सकता है.
कहां है ये जगह?
पेरू का ओकुकाजे रेगिस्तान अपनी बहुत पुरानी जीवाश्मों की वजह से वैज्ञानिकों के लि बहुत महत्वपूर्ण जगह रही है. पिछले कई सालों में यहां वैज्ञानिकों को लगभग 50 लाख से लेकर 2.3 करोड़ साल पुराने चार पैरों वाली छोटी व्हेल, डॉल्फिन, शार्क और अन्य समुद्री जीवों के कंकाल मिले हैं. इस रेगिस्तान में पिस्को संरचना में इन पुराने जीवों के कंकाल बहुत अच्छी हालत में मिले हैं. यहां तक कि हड्डियों के छोटे-छोटे टुकड़े भी साफ देखे जा सकते हैं.

इस खोज का क्या महत्व है?
इस खोज के बाद से ही दुनिया भर के वैज्ञानिकों में उत्साह बढ़ गया है. वैज्ञानिक इस शिंशुमार की बनावट और जीवनशैली को समझने के लिए कई तरह के अध्ययन कर रहे हैं. इसके लिए वैज्ञानिक सीटी स्कैनिंग और 3डी प्रिंटिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करेंगे. इससे उन्हें शिंशुमार(डॉल्फिन)के मसल्स, चलने के तरीकों और व्यवहार के बारे में नई जानकारी मिलेगी.

इस खोज से क्या जानकारी मिलेगी?
इस कंकाल को ओकुकाजे में मिले दूसरे फॉसिल्स के साथ अध्ययन करने वैज्ञानिक ये पता लगा सकते हैं कि उस समय कौन से जीन एक-दूसरे पर निर्भर थे, शिकार और शिकारी के बीच कैसे रिश्ते थे और समुद्री जीव कैसे एक जगह से दूसरी जगह जाते थे. यह खोज भविष्य में होने वाले शोध के लिए एक मजबूत नींन का काम करेगी.

ऐसे जीवाश्म भविष्य में कैसे काम आएंगे?
इन जगहों को बचाने से यह पक्का होता है कि ये नमूने भविष्य में भी वैज्ञानिकों के लिए मौजूद रहेंगे और समुद्री जीवों के विकास को समझने में मदद करेंगे. इसके अलावा, इन जीवाश्मों की प्रदर्शनियां और वैज्ञानिक जानकारी प्रकाशित करने से लोगों में भी विज्ञान और जीवाश्मों के तरफ जागरूकता बढ़ती है.

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