गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के परिवार ने बताया है कि भाजपा ने उनके भव्य अंतिम संस्कार का ख़र्च उठाने से इनकार कर दिया है, जिससे उन्हें 25 लाख रुपये के बिल चुकाने पड़े. 16 जून को राजकोट में रूपाणी के अंतिम संस्कार में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और भाजपा के कई शीर्ष नेता शामिल हुए थे.
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के परिवार ने आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उनके भव्य अंतिम संस्कार समारोह का खर्च उठाने से इनकार कर दिया है, जिसके चलते उन्हें 25 लाख रुपये के बिल चुकाने पड़े.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात में इसे लेकर राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है क्योंकि राज्य भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल रविवार (14 सितंबर) को राजकोट में ‘नमोत्सव’ कार्यक्रम में शामिल होने गए थे, लेकिन इस दौरान उन्होंने इस बारे में पूछे गए सवालों को टाल दिया.
इस खुलासे से पार्टी के सौराष्ट्र गुट में गहरी आंतरिक दरार की अटकलें भी तेज हो गई हैं.
यह विवाद 16 जून को राजकोट में रूपाणी के अंतिम संस्कार के तीन महीने बाद सामने आया है. मालूम हो कि उस समय दिवंगत नेता को अंतिम विदाई देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और भाजपा के कई शीर्ष नेता मौजूद थे.
रूपाणी उन 242 यात्रियों में शामिल थे जो एयर इंडिया की उस दुर्भाग्यपूर्ण फ्लाइट में सवार थे, जो 12 जून, 2025 को उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद अहमदाबाद हवाई अड्डे के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी.
स्थानीय खबरों के अनुसार, परिवार के सदस्यों को बिल न चुकाए जाने के बारे में तब पता चला जब फूल, टेंट और अन्य अंतिम संस्कार सामग्री की आपूर्ति करने वाले व्यापारी उनके दरवाजे पर भुगतान की मांग करने पहुंचे.
अजीबोगरीब स्थिति में फंसे रूपाणी के परिवार ने तब से इस खर्च को चुकाना शुरू किया है. हालांकि, पार्टी में विश्वासघात की सुगबुगाहट फैल गई है.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को पाटिल ने सर्किट हाउस में विधायकों और संगठनात्मक नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की, लेकिन जब पत्रकारों ने कार्यक्रम के बाहर उन्हें घेर लिया, तो पाटिल की प्रतिक्रिया ‘स्पष्ट’ थी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जब रूपाणी के अंतिम संस्कार के खर्च के बारे में पूछा गया, तो पाटिल ने इस मुद्दे को टालते हुए अस्पष्ट रूप से कहा, ‘यह नमोत्सव का मामला है, मैं बाद में ज़रूर जवाब दूंगा.’ इसके बाद वे तेज़ी से आगे बढ़ गए.
ऐसा बताया गया है कि रूपाणी के अंतिम संस्कार से जुड़े खर्चों का भुगतान न करने का फ़ैसला कथित तौर पर सौराष्ट्र के दो शक्तिशाली नेताओं द्वारा लिया गया था, जो परदे के पीछे चल रही खींचतान का संकेत देता है.
रूपाणी का परिवार अभी भी इस क्षति से शोकाकुल है, ऐसे में उन पर पड़े अतिरिक्त वित्तीय बोझ ने आक्रोश पैदा कर दिया है.
