कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने विभिन्न दस्तावेज़ दिखाते हुए कहा कि देशभर में मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर नाम काटे जा रहे हैं और चुनाव आयोग ऐसा करने वालों को बचा रहा है.
लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गुरुवार (18 सितंबर, 2025) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग और विशेषकर मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार पर गंभीर आरोप लगाए.
उन्होंने कहा कि देशभर में मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर वोटों की अवैध कटौती हो रही है और आयोग इसके दोषियों को बचा रहा है. राहुल गांधी ने इसे ‘भारतीय लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया.
‘सबूत हैं कि सीईसी बचा रहे हैं दोषियों को’
प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में ही राहुल गांधी ने कहा, ‘मैं यह बात हल्के में नहीं कह रहा हूं. विपक्ष के नेता के तौर पर कह रहा हूं कि मेरे पास ठोस सबूत हैं कि सीईसी ज्ञानेश कुमार उन लोगों को बचा रहे हैं जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र को तहस-नहस कर दिया है.’
उन्होंने दावा किया कि यह मामला अब केवल आरोपों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पुख़्ता प्रमाण सामने आ चुके हैं.
कर्नाटक के आलंद सीट का उदाहरण
राहुल गांधी ने सबसे पहले कर्नाटक की आलंद विधानसभा सीट का उदाहरण दिया. उनके मुताबिक, 2023 के चुनाव में यहां 6,018 वोटों को डिलीट करने की कोशिश की गई. गांधी ने कहा, ‘असल में डिलीट किए गए वोटों की संख्या इससे कहीं ज्यादा थी, लेकिन 6,018 वोट इसलिए पकड़े गए क्योंकि संयोग से एक बूथ लेवल ऑफिसर ने देखा कि उसके चाचा का वोट डिलीट हो गया है. जांच करने पर सामने आया कि वोट उसके पड़ोसी के नाम से हटाया गया, लेकिन पड़ोसी ने साफ कहा कि उसने कुछ नहीं किया. यानी पूरी प्रक्रिया किसी और ने हाईजैक की थी.’
‘सॉफ़्टवेयर और बाहरी नंबरों से हुआ खेल’
राहुल गांधी ने दावा किया कि वोट डिलीशन का काम सॉफ़्टवेयर और राज्य के बाहर के मोबाइल नंबरों के जरिए हुआ. उन्होंने एक महिला गोदाबाई (63) का वीडियो दिखाया, जिनके नाम से वोट डिलीशन का आवेदन दाखिल हुआ था, जबकि उन्होंने खुद कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं थी. इसी तरह उन्होंने सूर्यकांत नामक मतदाता को सामने लाकर बताया कि उनके नाम से 12 वोट डिलीट कर दिए गए.
‘केंद्रीकृत ढंग से हुआ खेल’
राहुल गांधी ने कहा कि वोट डिलीशन का यह खेल किसी स्थानीय स्तर पर नहीं, बल्कि केंद्रीकृत तरीके से किया गया. उन्होंने कहा, ‘टॉप 10 बूथ जिनमें सबसे ज्यादा डिलीशन हुए, वे कांग्रेस के मजबूत बूथ थे. यह साफ़ करता है कि इसे सुनियोजित ढंग से अंजाम दिया गया.’
गांधी ने दावा किया कि पिछले 18 महीनों में कर्नाटक की सीआईडी ने चुनाव आयोग को 18 पत्र लिखकर उन डिवाइस की आईपी एड्रेस मांगी, जिससे आवेदन किया गया था. साथ ही ओटीपी ट्रेल की डिटेल मांगी गई, लेकिन चुनाव आयोग ने कोई जानकारी नहीं दी. ‘अगर ये डिटेल सामने आ जाएं, तो पता चल जाएगा कि यह ऑपरेशन कहां से चल रहा है. चुनाव आयोग यह जानता है, लेकिन जानकारी साझा नहीं कर रहा.’
‘दलित-आदिवासी और अल्पसंख्यक खास निशाने पर’
राहुल गांधी ने कहा कि इस तरह की वोट डिलीशन देशभर में हो रही है- कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में. उन्होंने कहा, ‘किसी ताकत ने व्यवस्थित रूप से करोड़ों वोटरों को डिलीट करने का निशाना बनाया है. इनमें खासकर विपक्ष के समर्थक दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और ओबीसी समुदाय शामिल हैं. हमें लंबे समय से इसकी जानकारी मिल रही थी, लेकिन अब हमारे पास 100% सबूत हैं.’
‘हाइड्रोजन बम’ की चेतावनी
कांग्रेस नेता ने कहा कि यह खुलासा अभी शुरुआत है. ‘सबसे पहले तो यह एच-बॉम्ब नहीं है. एच-बॉम्ब आने वाला है. यह तो सिर्फ एक और उदाहरण है, जिससे युवाओं को दिखाया जा सके कि भारत में चुनाव कैसे धांधली से प्रभावित किए जा रहे हैं.’
याद दिला दें कि हाल ही में अपने वोटर अधिकार यात्रा के समापन समारोह में राहुल गांधी ने कहा था कि वह वोट चोरी पर ‘हाइड्रोजन बम’ जैसा खुलासा करने वाले हैं, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के सामने मुंह नहीं दिखा पाएंगे.
कांग्रेस की मांग
प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से साफ़ मांग रखी कि वह एक हफ्ते के भीतर उन मोबाइल नंबरों और ओटीपी से जुड़ा डेटा सार्वजनिक करे जिनका इस्तेमाल वोटरों की डिलीशन में हुआ. ‘अगर चुनाव आयोग यह डेटा जारी नहीं करता, तो साफ़ हो जाएगा कि ज्ञानेश कुमार लोकतंत्र के कातिलों को बचा रहे हैं.’
