908 दिन बाद लौटा अमेरिका सेना का ‘सीक्रेट स्पेसक्राफ्ट’, इसकी खासियत जान उड़ जाएंगे होश

News Desk
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अमेरिकी सेना के खास अंतरिक्ष यान X-37B ने अपना सबसे लंबा स्पेस मिशन पूरा कर लिया है. यह यान अंतरिक्ष में 908 दिन बिताने के बाद NASA के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र में उतरा. ओटीवी-6 नाम का ये मिशन एक्स-37बी का सबसे लंबा मिशन था. हालांकि, पेंटागन ने इस मिशन में ले जाए गए सामान की जानकारी नहीं दी है. फिर भी, यह माना जाता है कि इस मिशन में कई सरकारी परीक्षण भी शामिल थे जो राष्ट्रीय सुरक्षा और विज्ञान में तकनीक की बढ़ती भूमिका को दिखाते हैं. यह स्पेसक्राफ्ट नई तकनीकों को अंतरिक्ष में ले जाकर जांच करने की क्षमता रखता है.
कैसी है इसकी बनावट औ क्षमता?
सबसे पहले आपको बता दें कि इसे इंसानों को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए नहीं बनाया गया है. इसमें एक पिकअप ट्रक के साइज का खास हिस्सा है जिसमें बिना इंसानों वाले प्रयोग और नई तकनीकों को रखा जाता है. इन बनावट की वजह से यह यान प्रयोगों से मिले डाटा और सामान को वापस धरती पर ला सकता है जिससे वैज्ञानिक आगे की जांच कर सकें. अपने नए मिशन यह यान पहली बार सर्विस मॉड्यूल को अपने साथ ले गया. इस अतिरिक्त क्षमता की वजह से ज्यादा प्रयोग हो सके.

ये मिशन क्यो जरूरी है?
ये मिशन अंतरिक्ष में नई तकनीकों का परीक्षण करने में मदद करते हैं. इस यान में खास सिस्टम लगा है जिससे यह अपनी कक्षा(Orbit)बदल सकता है. इस सुविधा का इस्तेमाल उपग्रहों के रखरखाव या उन्हें उनकी जगह पर वापस लाने में भी हो सकता है. इस मिशन की सबसे खास उपलब्धि अंतरिक्ष में सौर ऊर्जा को धरती पर भेजने की तकनीक का सफल परीक्षण था जिसे Naval Research Laboratory ने किया था.

इसमें कौन सी तकनीक का इस्तेमाल किया गया?
इसमें फोटोवोल्टिक रेडियो-फ्रीक्वेंसी एंटीना मॉड्यूल(PRAM)का इस्तेमाल किया गया था. यह प्रयोग सौर ऊर्जा को रेडियो फ्रीक्वेंसी वाले माइक्रोवेव बीम में बदलने पर केंद्रित था. यह सफलता अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा नीतियों के लिए जरूरी है. अगर यह तकनीक पूरी तरह से लागू हो जाती है तो इससे सेना को दूर-दराज के या मुश्किल इलाकों में काम करने के लिए बिजली मिल सकेगी. यह प्रयोग दिखाता है कि ऐसी तकनीकें बनाई जा सकती हैं जो भविष्य में सेना और आम लोगों के बहुत उपयोगी साबित होंगी.

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