हेलमेट चेकिंग में ही ज्यादा जोर देती है मदन महल पुलिस ?चेहरा चिन्ह -चिन्ह कर पकड़ते है वाहन चालक

News Desk
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जबलपुर-संस्कारधानी के थानों में नियुक्त पुलिस कर्मचारी थाना प्रभारी से लेकर अधिस्थ खाकीधारियों की कार्यप्रणाली का कुछ अलग ही अंदाज है ,कप्तान साहब के निर्देश कय्या मिले अधीनस्थ पुलिस कर्मी पूर्ण सजगता ,कर्तव्य निष्ठा के साथ पालन करने जुट जाते है ,किंतु दुर्भाग्य कहे या विडंबना के अपराध नियंत्रण की दिशा में ये सजगता ओर कर्तव्यनिष्ठा बहुत कम ही दृष्टिगत होती है,हा पर हेलमेट चेकिंग की बात हो तो समस्त थाना बल लठ फटकारते हुए आमजन पर खाकी का रोब दिखाने में अग्रणी रहता है,मुद्दे की बात पर आते है सर्वविदित है के हेलमेट चेकिंग के नाम पर स्मार्ट सिटी जबलपुर के थाना मदन महल के स्मार्ट खाकीधारी सर्वाधिक सजग नजर आते है? चैकिंग के दौरान नजारा कुछ यूं होता है कि सबसे व्यस्ततम मार्ग के बीच मे बेरिकेट्स लगा दिए जाते है, ओर समूचे छेत्र को कुछ इस कदर घेरा बंदी की जाती है, मानो कोई कुख्यात गैंगस्टर को पकड़ने घेराबंदी का जाल बिछाया गया हो उपनिरीक्षक,सहायक उपनिरीक्षक,चार से छह आरक्षक,कुछ इस तरह फील्डिंग लगाकर खड़े होते है के टारगेट बचकर न निकलने पाए ,पर हाय री विडंबना के ये सब ताम झाम सिर्फ बिना हेलमेट के वाहन चालकों को पकड़ने होता है,क्योकि खाकी धारी भलीभांति जानते है कुख्यात गेंगेस्टरो,अपराधी तत्वों का नेटवर्क पुलिस से तगड़ा होता है ?अब बारी आती है वाहन चालकों को पकड़ने की तो इसमे भी सभी पुलिस कर्मियों को हिदायत दे दी जाती है के राजनीतिक दल से जुड़े किसी व्यक्ति को नही पकड़ना है क्योकि एक छुटभैया नेता भी खाकी धारियों को अपने सियासती रसूख के चलते बगल झांकने विवश कर देता है ,ओर होता भी यही है के सियासती ख़ौफ़ खाकी धारियों के माथे पर परेशानी ला देता है, अब बचा बेचारा आम जनमानस तो वो बनता है खाकी धारियों की कर्तव्यनिस्था का शिकार ओर पुलिस कर्मी इतने नियम कानून बता देते है के 250 रुपये का चालान 900 तक पहुच जाता है ?विवश संभ्रांत जन खाकी के ख़ौफ़ का शिकार बन मजबूरी वश चालान कटवाते है ?अब ऐसे में बात ये आती है के नियम कानून कय्या सिर्फ हेलमेट चेकिंग तक सीमित है या चेकिंग के नाम पर खुलेआम वसूली की छूट वरिष्ठ अधिकारियों ने दे रखी है ?वही अहम पहलू ये है के शहर में बढ़ते अपराध,नशे का कारोबार,असमाजिक तत्वों का जमावड़ा,इत्यादि भी कानून व्यवस्था की परिधि में ही आता है तो थाना पुलिस के प्रभारी से लेकर अधीनस्थ तक इस दिशा में क्यो अग्रणी नही रहते ? ओर रही बात हेलमेट चेकिंग की तो साहब सीधी सी बात है अराजक यातायात ,संकीर्ण सड़के,ओर रईसजादों की तेज वाहन चलन गति,चौपहिया सवारों का भीड़ भाड़ वाले व्यस्ततम मार्गो पर फर्राटे से वाहन चलाना, मालवाहकों यात्री वाहकों की भर्राशाही युक्त गतिविधियां सड़क दुर्घटनाओं की मुख्य वजह है,जिन पर कार्यवाही करने से पुलिस कर्मी बचते नजर आते है ? अगर वरिष्ठ से अधीनस्थ पुलिस कर्मी इस प्रमुख कारक पर कार्य करे तो सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते ग्राफ में काफी हद तक कमी आ जायेगी !

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