गृह मंत्री ने 1974 के बाद हुए आंदोलनों के ‘वित्तीय पक्ष’, ‘पर्दे के पीछे की ताक़तों’ की जांच के निर्देश दिए

News Desk
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो को निर्देश दिया है कि वह आज़ादी के बाद देश में हुए सभी आंदोलनों, खासतौर पर 1974 के बाद हुए आंदोलनों के ‘वित्तीय पहलुओं’, नतीजों और ‘पर्दे के पीछे सक्रिय ताक़तों’ की जांच कर एक एसओपी तैयार करे, ताकि भविष्य में ‘निहित स्वार्थों द्वारा कराए जाने वाले बड़े आंदोलनों’ को रोका जा सके.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) को निर्देश दिया है कि वह आज़ादी के बाद देश में हुए सभी आंदोलनों का अध्ययन करे, खासतौर पर 1974 के बाद हुए विरोध-प्रदर्शनों का.

 शाह ने कहा है कि ब्यूरो इन आंदोलनों के ‘वित्तीय पहलुओं’, उनके नतीजों और ‘पर्दे के पीछे सक्रिय ताकतों’ की जांच करे और एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करे, ताकि भविष्य में ‘निहित स्वार्थों द्वारा कराए जाने वाले बड़े आंदोलनों’ को रोका जा सके.

शाह ने यह निर्देश जुलाई में इंटेलिजेंस ब्यूरो द्वारा आयोजित दो दिवसीय नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटेजीज कॉन्फ्रेंस-2025 में दिए थे.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है, ‘बीपीआरडी को खास तौर पर यह जांचने के लिए कहा गया है कि इन आंदोलनों के पीछे कारण क्या थे, उनका पैटर्न कैसा रहा और उनके नतीजे क्या निकले. साथ ही यह भी देखा जाए कि इन विरोधों के पीछे कौन-कौन से और किस तरह के लोग सक्रिय थे. अध्ययन के आधार पर एक एसओपी बनाई जानी है, ताकि भविष्य में निहित स्वार्थों द्वारा कराए जाने वाले जन आंदोलनों को रोका जा सके.’

गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाला बीपीआरडी इस दिशा में एक समिति बनाने की प्रक्रिया में है. यह समिति पुराने केस फाइलों के लिए राज्यों की पुलिस विभागों और उनकी अपराध जांच शाखाओं (सीआईडी) से तालमेल बिठाएगी.

 शाह ने कहा है कि आंदोलनों के ‘वित्तीय पहलुओं’ की जांच के लिए बीपीआरडी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), वित्तीय खुफिया इकाई और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) जैसी वित्तीय जांच एजेंसियों को भी साथ लाना चाहिए.

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