वैज्ञानिकों की नई खोज…अब जेनेटिक्स नहीं, ‘संस्कृति’ तय करेगी इंसानी सभ्यता का भविष्य

News Desk
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मेन विश्वविद्यालय के एक नए शोध के अनुसार, अब हमारा विकास केवल Genetics पर ही नहीं बल्कि संस्कृति भी इसमें एक बड़ी भूमिका निभा रही है. इस शोध में बताया गया है कि सांस्कृतिक विकास की गति जेनेटिक्स की तुलना में बहुत तेज है और यह हमारे भविष्य को एक नया आकार दे रही है. यह शोध बायोसाइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. मेन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर टिम वारिंग ने कहा, मानव विकास की गति अब बदल रही है. उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर बताया कि सदियों से इंसान जेनेटिक बदलावों से ही विकसित हुआ है.

क्या इंसान एक सुपरऑर्गेनिज्म बन रहा है?
इससे एक सुपरऑर्गेनिज्म की तरह विकसित हो सकता है, हालांकि यह कोई नया विचार नहीं है. चींटियां और दीमक जैसे सामाजिक जीव पहले से ही यह दिखाते हैं कि कैसे कई जीव मिलकर एक बड़े और जटिल तंत्र की तरह काम कर सकते हैं. वैज्ञानिक कई दशकों से इस सिद्धांत पर शोध कर रहे हैं, खासकर जिस तरह के इंसानों में आपसी सहयोग और वैश्विक संबंध लगातार बढ़ रहे हैं.

क्या इससे लोगों में सुधार हुआ है?
इस सवाल के जवाब में वारिंग ने कहा, सांस्कृतिक बदलाव Genetics बदलावों से बहुत तेज होते हैं और हमारी प्रजाति के भविष्य पर गहरा असर डाल सकते हैं. तकनीक और सामाजिक विकास ने समस्याओं को बहुत तेजी से हल किया है. चिकित्सा, साफ-सफाई और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में हुई तरक्की से लोगों की जीवन प्रत्याशा और जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है.

क्या कहता है ये सिद्धांत?
इस थ्योरी के मुताबिक, इंसान का भविष्य इस बात पर निर्भर नहीं करेगा कि कौन Genetic तौप पर सबसे बेहतर है या कौन जैविक रूप से सबसे मजबूत है. इसके बजाय, यह उन समाजों के जीवित रहने और सफल होने के बारे में होगा जो सबसे बेहतर तरीके से बदल सकते हैं और वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सकते हैं. प्रोफेसर वारिंग और उनके साथी इस पर और शोध करते रहेंगे जिससे एक प्रजाति के रूप में हमारे विकास को लेकर हमारी समझ में बड़ा बदलाव आ सकता है.

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