वज्र बाण (एन डी ): सर्वविदित है कि मध्यप्रदेश में लंबी पारी खेल रही भाजपा सरकार में बहुत जल्द नए चेहरों की मंत्री के रूप में आमद होने वाली है ,जिसे लेकर सियासती पंडित अपना अपना गुणाभाग बेठाल रहे है ?
लेकिन ये भाजपा है साहब कब, कहा ,कैसे ? आलाकमान किसी अपरिचित चेहरे के सिर पर मंत्री पद का ताज सजा दे जो हतप्रभ ओर सोच से परे हो ?
सर्वविदित है के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जो प्रदेश में मातृशक्ति के विशेष चहेते रहे और जो मुख्यमंत्री पद पर लंबे समय तक आसीन रहे उन्हें अचानक अलग करके डॉ मोहन यादव को प्रदेश का मुखिया बना दिया गया,जबकि वास्तविकता यही है के लाडली बहनों ने शिवराज सरकार के लिए मतदान करके भाजपा को पुनः सत्ता की बागडोर सौपी थी ,पर किस्मत का सितारा यादव जी का चमक गया शीर्ष नेतृत्व ने शिवराज को प्रदेश सत्ता के सिंहासन से उतारकर मोहन को सिरमौर बना दिया,खैर मुद्दे की बात पर आते है प्रदेश की सत्ता में नए चेहरों को स्थान देने की कवायद की चर्चा जोरों पर है और जल्द ही केबिनेट विस्तार की भी बात की जा रही है,अब ऐसे में विभिन्न अहम विभागों में मंत्री के रूप में अपने अंगद पाव जमा कर बैठे माननीयों के अंदर भी खलबली मची हुई है।
सूत्रों की माने तो कई विभागों में मंत्री पद पर आसीन चेहरों को हटाया जायेगा और उनके स्थान पर नए चेहरों को स्थापित किया जायेगा ,अब जिन मंत्रियों को पद सिंहासन से उतारा जा रहा है उनके कार्यप्रणाली को लेकर आलाकमान की वक्रदृष्टि का होना बताया जा रहा है ?चर्चा तो ये भी है के सियासती अखाड़े के पुराने खलीफा जो वर्तमान में उम्रदराज होकर भी खुद को युवा ही दर्शा रहे है वो भी मंत्री पद पाने एड़ी चोटी का पसीना बहा रहे है, वही एक हास्यदपड बात ये भी है जो पहली बार विधायक बने है साथ ही जिनका जमीनी जनाधार भी नही है वो सिर्फ अपने भाजपाई आका की जी जान से खुशामद में जुटे है ,के इनके सियासती माई-बाप जैसे इन्हें भाजपा की टिकिट दिलवाए थे वैसे ही मंत्री पद भी दिलवा दे भले वो राज्यमंत्री ही क्यो न हो।
हालांकि विश्वसनीय सूत्रों की माने तो प्रदेश भाजपा केबिनेट विस्तार में कम से कम 4 मंत्री पद पर आसीन माननीयों को पदमुक्त किये जाने की खबर है ? तो वही जिन्हें केबिनेट या राज्यमंत्री के लिए चुना जाना है वह निर्धारित हो चुका है ,और मुख्यमंत्री मोहन यादव ,लोकनिर्माण विभाग मंत्री राकेश सिंह केबिनेट विस्तार में अहम भूमिका का निर्वहन करेंगे ? सीधी सी बात है तीन बार के सांसद और वर्तमान में अहम विभाग के मंत्री सिंह साहब प्रदेश से केंद्र तक कि राजनीति में विशेष दमखम रखते है, अब देखना ये रोचक होगा के प्रदेश भाजपा की मोहन सरकार में किस किस को तवज्जो दी जाती है और आलाकमान का निर्धारण सामंजस्य की स्थिति बनाता है या नही ?
वही दबे सुर में सियासती गलियरो में ये भी चर्चा है के बिहार चुनाव के बाद मध्यप्रदेश में भी मुख्यमंत्री के चेहरे में बदलाव हो सकता है ?
