मासूम बच्चों की मौत का दोषी कौन ? शासन -प्रशासन की लापरवाही या मोटी रकम का खेल 

News Desk
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वज्र बाण (नवनीत दुबे) बीते दिनों कफ सिरप के सेवन से हुई मासूम बच्चों की मौत ने प्रदेश से केंद्र तक हाहाकार मचा दिया,विपक्ष मध्यप्रदेश की सत्ता धारी भाजपा की मोहन यादव सरकार को घेरने सड़को पर उतर आया है,तो वही सत्ता के हुक्मरान व मुख्यमंत्री मोहन यादव मृत बच्चों के प्रति संवेदना प्रकट करते नही थक रहे,मद्दे की बात पर आते है प्रदेश में वैसे ये कोई पहला मामला नही है जिसमे दवा सेवन से पीड़ितों की मौत हुई हो इससे पहले भी ऐसे कई हृदय विदारक मामले प्रकाश में आ चुके है।

किंतु इस बार छिंदवाड़ा में विषाक्त कफ सिरप पीने से 21 मासूम असमय काल के गाल में समा गए ,जिसके चलते जनाक्रोश व्याप्त हो गया ,दुर्भाग्य कहे या विडंबना के सत्ता के सिंहासन पर बैठे माननीयों द्वारा सिर्फ सियासती रुंदन करके जन सिम्पति लेने हर संभव प्रयास किये जा रहे है,जबकि दूसरे पहलू पर दृष्टि डाले तो एक बात स्पष्ट नजर आती है के प्रदेश के स्वास्थ मंत्रालय के मंत्री राजेन्द्र शुक्ल जो उपमुख्यमंत्री भी है उनकी अपने विभाग के प्रति ढुलमुल रवैया उनकी कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है ?

छिंदवाड़ा में हुई बच्चों की मौत से आय भूचाल को कुछ हद तक रोकने छिंदवाड़ा जिला अस्पताल के सिविल सर्जन, व दो डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया,अब प्रश्न ये उठता है के इस पूरे घटनाक्रम में दोषी दर्शाय गया चिकित्सको का कितना दोष था? जो स्वस्थ मंत्रालय के हुक्मरान द्वारा उन पर निलंबन की गाज गिरा दी ?

सूत्रों की माने तो तमिलनाडु की दवा निर्माता कंपनी श्री सन फार्मा के मालिक डॉ जी रंगनाथन की ये कंपनी लंबे समय से दवा निर्माण का कार्य कर रही है ,और संबंधित स्वास्थ विभाग के मंत्री से लेकर जिम्मेदार अधिकारियों तक गहरी पैठ रखती है ? स्वाभाविक सी बात है इतनी बड़ी कंपनी के मालिक के संबंध भी सियासत के उच्च रसूखदार दिग्गज माननीयों से होंगे ?जिसके फलस्वरूप दवा के सेम्पल का परिक्षण होने के उपरांत शासकीय हरी झंडी मिलने पर ही कफ सिरप विक्रय के लिए बाजार में उतारा गया होगा ,

अब ऐसे में प्रश्न ये उठता है के जहरीला कफ सिरप कितने समय से बाजार में विक्रय हो रहा था ?और इसे अपने पर्चे में लिखने वाले चिकित्सक चाहे व शासकीय हो या प्राइवेट अस्पतालों में कार्यरत किस मापदंड के आधार पर इसे अपने पर्चे में लिख रहे थे,छिंदवाड़ा में कफ सीरप पीने से हुई मासूम बच्चों की मौत ने शासकीय भर्राशाही की पोल खोल कर रख दी ,साथ ही मलाईदार विभाग के मंत्रालय पर आसीन मंत्री जी और जिम्मदेदार वरिष्ठ अधिकारी जो शासकीय सुविधाओ का भरपूर लुत्फ लेकर आनंदमय जीवन व्यतीत कर रहे है ,उन सभी की कार्यप्रणाली को उजागर कर दिया ,

अंततः प्रश्न वही उठता है मासूम बच्चों की मौत का दोषी कौन ?शासकीय विभाग की लापरवाही या कमीशन का खेल आम जन की जान को इसी तरह काल के गाल में धकेलता रहेगा ?हालांकि ये कहना भी अतिशयोक्ति नही होगा के कफ सीरप से हुई 21 बच्चों की मौत से फिलहाल हड़कम्प मचा हुआ है ,मुख्यमंत्री ,उपमुख्यमंत्री,व अन्य पदासीन अपने अपने स्तर पर दुख प्रकट करते हुए संवेदना से भरे हुए है,लेकिन सियासत है साहब श्री सन फार्मा के मालिक डॉ रंगनाथन पर सियासती आकाओं द्वारा कानूनी कठोर कार्यवाही किये जाने की बात हो रही है,कंपनी को सील कर दिया गया है ,कंपनी मालिक पुलिस हिरासत में है ,लेकिन शनें-शनें इस ह्रदय विदारक हादसे की आग जो जनाक्रोश के रूप में प्रदेश की सत्ता को घेरे में ले रही है ,वह आग शांत होने दीजिए ,सब पूर्ववत प्रारम्भ हो जायेगा ,क्योकि ये प्रमाण है कितने अस्पताल सील हुआ लेकिन सियासती मधुर संबंध के चलते नाम बदलकर फिर धड़ल्ले से संचालित हो रहे ?कितनी दवा कंपनियां सील हुई लेकिन सियासती दिग्गजों की कृपा छांव में नाम बदलकर फिर दवा निर्माण के कार्य मे पहले से अधिक मात्रा में निर्माण कर रही है ?

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