निकम्मी व्यवस्था निर्लज्ज अधिकारी ? बिजली विभाग की ढुलमुल कार्यप्रणाली से उपभोक्ता त्रस्त….

News Desk
3 Min Read

जबलपुर(नवनीत दुबे) संस्कारधानी अब स्मार्ट सिटी है,किंतु शासकीय विभाग आज भी पुराने ढर्रे पर ही अपनी सुस्त ओर कामचोरी से भरी कार्यप्रणाली को ही अग्रणी रख कार्य कर रहे है ,फिलहाल मध्यप्रदेश विधुत मंडल की बात करते है जिसकी भर्राशाही से भरी हठधर्मिता युक्त कार्य पद्धति किसी से छुपी नही है ,विदित हो के बीते कुछ माह से विभागीय अधिकारियों की लचरता का खामियाजा आम जनता भुगत रही है,जब देखो बिजली गुल ?दुर्भाग्य कहे या विडंबना के बड़े बड़े पदों पर बैठे अधिकारी सिर्फ शासकीय सुविधाओ का भरपूर लुत्फ उठा रहे है और वतानुकूलित कक्षो में आसीन होकर अधीनस्थों को दिशा निर्देश दे रहे है, तो वहीं अधीनस्थ भी तू डाल डाल में पात पात की परिपाटी का अनुसरण करते हुए अधिकारियों के आदेशों की कनबहरी कर रहे है ?मुद्दे की बात पर आते है बीते माह से देखा जा रहा है के किसी भी समय बिजली गुल हो जाती है और जब कारण पूछा जाता है तो कही मेंटनेंस तो कही ओवरलोड की समस्या का ढोल पीटा जाता है,हास्यदपड कहेंगे कि बीते दिनों प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्री तोमर का आगमन हुआ था तब भी जिम्मेदार विभाग के वरिष्ठ से अदना तक माननीय के सामने जनसुविधा के प्रति खुद को जागरूक दर्शाने का भरपूर ड्रामा करते नही थक रहे थे ,तो वही मंत्री जी भी जनमानस के बीच न पहुच कर सिर्फ विभागीय अधिकारियों से गुफ्तगू करके अपने कर्तव्य की इतिश्री करके चले गए ?जगजाहिर है किसी भी विभाग के मंत्री के आगमन के पीछे मुख्य उद्देश्य क्या होता है ?संभवतः सबका साथ व्यक्ति विशेषो का विकास ,खेर सियासत है साहब मलाईदार विभाग का मंत्री बनने कितनी जुगत लगानी पड़ती है ये तो माननीयों से पूछो ?दीपपर्व को बस 2 से तीन दिन शेष है लेकिन निकम्मी व्यवस्था की हठधर्मिता देखिए ,जहाँ सनातन के सबसे पावन पर्व नवरात्र पर दिनभर बिजली की आंखमिचोली का खेल चलता रहा ,तो वही अब दीपोत्सव पर्व की बेला में निकम्मी व्यवस्था के निर्लज्ज अधिकारी अपनी सुस्त ओर लचर कार्यप्रणाली का परिचय देते हुए जब चाहे तब बिजली गुल की समस्या की ओर ध्यान नही दे रहे और सम्बंधित सब स्टेशनों में नियुक्त विभागीय अधीनस्थ जनसमस्या के निवारण की बजाय विभागीय समस्या की कहानी सुना रहे है,सोचनीय पहलू है के उटपटांग बिजली बिलों के निराकरण के लिए कार्यालयों में उपभोक्ताओं की लंबी कतारें प्रतिदिन देखने मिलती है ,पर विभाग के अधिकारी समाधान की बजाय उपभोक्ताओं को ही दोषी बताते है ?अब ऐसे में प्रश्न ये उठता है के संबंधित विभाग के मंत्री जी अपनी कर्तव्यनिष्ठा के प्रति कितने सजग है और सम्बंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की लचर कार्यप्रणाली पर अंकुश लगाने कोई पहल क्यो नही कर रहे ?

Share This Article
Leave a comment