जबलपुर (नवनीत दुबे) जिला दंडाधिकारी राघवेंद्र सिंह,निगम आयुक्त रामप्रकाश अहिरवार व पुलिस कप्तान सम्पत उपाध्याय संस्कारधानी में फैले अतिक्रमण के मकड़जाल से मुक्ति दिलाने की मंशा से संयुक्त बैठक में अराजक व्यवस्था में सुधार लाने चिंतन -मंथन के बीच मंत्रणा हुई,जिसमे अराजक व्यवस्था के मुख्य किरदार अतिक्रमणकारियो को शहर के प्रमुख मार्गों ,व्यस्ततम चौराहों से उनका साम्राज्य समाप्त करने निर्णय लिया गया,ओर कलेक्टर श्री सिंह ने 1 नवम्बर से अतिकरण विरोधी मुहिम प्रारम्भ करने के निर्देश दिए ,ये बात तो सर्वविदित है ,लेकिन मुद्दे की बात ये है कि कलेक्टर साहब ओर निगम आयुक्त को जबलपुर में पदासीन हुए अभी कुछ दिन ही हुये है,ओर संभवतः महोदय इस बात से भलीभांति परिचित नही है के जबलपुर में किसी भी प्रशासनिक मुहिम पर सियासतदार मुहर लगाते है और इन्ही माननीयों की मंशा अनुरूप शहर विकास के लिए मसौदा तैयार होता है ?ओर माननीयों के इशारे पर ही महोदयों को अपनी कर्तव्य निष्ठा का विवशता पूर्ण निर्वहन करना पड़ता है,दुर्भाग्य कहे या विडंबना के इससे पूर्व भी संस्कारधानी को व्यवस्थित ओर सौन्दर्यवान बनाये रखने पूर्व में पदासीन रह चुके कलेक्टर व आयुक्त साथ ही पुलिस कप्तानों ने भी पहल की ,लेकिन सो दिन चले अढ़ाई कोस की तर्ज ही देखने मिली,और कुछ दिन के दिखावे के बाद सारी मुहिम ओर योजना ठंडे बस्ते में चली गई,ऐसा हो भी क्यो न संस्कारधानी में अधिकांश अवैध अतिक्रमणकारी किसी न किसी भैया,किसी न किसी चाचा,किसी न किसी भाई साहब की कृपा छांव में है ?तो फिर मजाल है प्रशासन के आला अधिकारी से लेकर अधीनस्थ कर्मी की जो माननीयों के कृपा पात्र को नियम कानून का डंडा दिखा सके,मुद्दे की एकप्रमुख बात ये भी है के नगर पालिका निगम के बाजार विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अधिकांश अतिक्रमण करियो को व्यपार करने प्रमुख मार्ग ठेके पर दे देते है ?सीधी सी बात है शासकीय मद में दर्शाने कुछ शासकीय रसीदे 5 रुपये बैठकी सुल्क की काटी जाती है बाकी सबका साथ इनका विकास की भेंट चढ़ जाती है ?
कलेक्टर साहब,आयुक्त महोदय,पुलिस कप्तान द्वारा जो अतिक्रमण विरोधी योजना को अमलीजामा पहनाया गया है वह काबिले तारीफ है ,लेकिन एक कटु सत्य ये भी है कानून का डंडा सिर्फ आमजन पर ही बरसेगा सियासती रसूख वालो के सामने दंडवत ही नजर आएगा ?वैसे तो समूची संस्कारधानी अतिक्रमण कारियो के अवैध साम्रज्य से वर्चस्व के साथ स्थापित है जिसमे सर्वप्रथम शास्त्री ब्रिज से मिलोनीगंज मार्ग,दमोहनाका से निवाडगंज मार्ग,बलदेवबाग से करमेटा मार्ग,गोरखपुर से ग्वारीघाट मार्ग,गोहलपुर से मदार टेकरी चार खम्बा मार्ग,किस किस स्थान का उल्लेख ही सभी तो अतिक्रमण से भरे हुए है,अब देखना ये है के 1 नवम्बर से प्रारम्भ हो रही मुहिम कितनी असरदायक होती है ,ओर बदहाल यातायात व्यवस्था कितनी सुव्यवस्थित होती है ?या फिर चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात की कहावत चरितार्थ होती है ? कानून का डंडा अपनी वास्तविक अस्मिता को सिरमौर रखता है या सियासती रसूखदार पदासीन माननीयों के सामने नतमस्क होता है ?
